हरीश साल्वे को हटाकर खाबर कुरैशी को भारत का वकील बनाया था मनमोहन सरकार ने
डाभोल पावर प्लांट प्रोजेक्ट केस में हरीश साल्वे भारत का मुकदमा लड़ने के लिए तैयार थे। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने हरीश साल्वे को हटाकर पाकिस्तानी मूल के खावर कुरैशी को भारत की तरफ से ज़िरह करने के लिए भेजा।
डाभोल पावर प्लांट प्रोजेक्ट केस में हरीश साल्वे भारत का मुकदमा लड़ने के लिए तैयार थे। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने हरीश साल्वे को हटाकर पाकिस्तानी मूल के खावर कुरैशी को भारत की तरफ से ज़िरह करने के लिए भेजा।
कुलभूषण जाधव केस में भारत की तरफ से जिरह कर रहे थे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पाकिस्तान की तरफ से बहस कर रहे थे खावर कुरैशी। लेकिन 13 साल पहले कांग्रेस की सरकार के वक्त बिल्कुल उल्टा हुआ था । एनरॉन केस में हरीश साल्वे भारत का मुकदमा लड़ने के लिए तैयार थे। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने हरीश साल्वे को हटाकर पाकिस्तानी मूल के खावर कुरैशी को भारत की तरफ से ज़िरह करने के लिए भेजा। अब इसके पीछे एक बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है।
आखिर अपने देश के एक बड़े वकील को हटाकर पाकिस्तान के वकील को क्यों रखा गया। सबसे पहले पूरा मामला समझिए, मनमोहन सरकार ने पाकिस्तानी वकील खावर कुरैशी को मुकदमा लड़ने के लिए हायर किया था। वही खावर कुरैशी जिसने इस बार कुलभूषण जाधव को फांसी दिलाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से मुकदमा लड़ा।
ये बात 2004 की है और उस वक्त चुनाव जीतने के बाद मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे। यूपीए सरकार ने डाभोल पावर प्लांट प्रोजेक्ट केस में हरीश साल्वे को हटाकर पाकिस्तानी वकील को रखा था। उसे केस लड़ने के लिए भारत सरकार की तरफ से लाखों रुपए दिए गए। महाराष्ट्र में रत्नागिरी दाभोल परियोजना में एनरॉन कंपनी ने भारत सरकार पर 6 अरब अमेरिकी डॉलर का केस कर दिया था। जब यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में गया तो अपना केस लड़ने के लिए भारत सरकार ने खावर कुरैशी को ही अपना वकील बना लिया था।अब कांग्रेस इस पूरे विवाद से पल्ला झाड़ रही है। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं ये कोई मुद्दा नहीं है। एक और नई बात पता चली है। हरीश साल्वे उस वक्त देश के सोलिसिटर जनरल थे। उन्होंने कानून मंत्रालय से कहा था कि वो एनरॉन का मुकदमा जीतकर दिखाएंगे। शुरुआती चरण में हरीश साल्वे ही भारत का पक्ष रख रहे थे। लेकिन मनमोहन सरकार बनने के बाद अचानक हालात बदल गए। हरीश साल्वे अगर भारत का मुकदमा लड़ते तो उन्हें लाखों रुपए फीस भी नहीं देनी पड़ती। वो सोलिसिटर जनरल थे, सरकारी रेट पर ही बहुत कम फीस पर वो भारत का मुकदमा लड़ते। लेकिन हरीश साल्वे को हटाकर पाकिस्तानी मूल के खावर कुरैशी को लाया गया जिसने लाखों रुपए लिए।
अब शक है कि इस बदलाव के पीछे भी एक बड़ा खेल था। भाजपा के नेता अमन सिन्हा ने भी पुष्टि की कि हरीश साल्वे से उनकी बात हुई है और हरीश साल्वे ने ये कहा कि वो एनरॉन का मुकदमा लड़ रहे थे और उन्हें मनमोहन सरकार के वक्त मुकदमा लड़ने से रोका गया। उनकी जगह पाकिस्तानी मूल के खावर कुरैशी को भारत का वकील बनाया गया। खबर यहीं खत्म नहीं होती, खावर कुरैशी ने मुकदमा लड़ा और भारत वो मुकदमा जीत नहीं पाया।